महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के भक्त जो शिवजी में आस्था और विश्वास रखते है वे बडी ही श्रद्धा और विश्वास के साथ महा शिवरात्री का व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ शिव-गौरी की पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। और सभी भक्तों पर विशेष कृपा का अर्शीवाद प्राप्त होता है।
महाशिवरात्री इस बार किस तिथि को मनाई जाऐगी।
हिंदुपंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 8 मार्च को संध्याकाल 09 बजकर 57 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन 09 मार्च को संध्याकाल 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। चूकिं भोलेनाथ जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए उदया तिथि देखना जरूर नहीं होता है। ऐसे में इस साल की महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च 2024 को रखा जाएगा।
महाशिवरात्री को होने वाली पूजा का शुभ मुर्हत
8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का सही समय शाम के समय 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है। तो इस बार महाशिवरात्री के पावन पर्व पर जो भी भोलेनाथ से विशेष आर्शीवाद प्राप्त करना चाहता है तो वह इस शुभ मुहूर्त में पूजा करके शिवजी को आसानी से प्रश्न्न कर सकते है। इसके अलावा चार प्रहर का मुहूर्त भी होते है जो इस प्रकार है-
महाशिवरात्रि 2024 चार प्रहर मुहूर्त-
- 1.रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट तक
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – रात 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – प्रात: 03.34 से प्रात: 06:37
इसके बाद दो और मुहूर्त है जिनका भी बहुत ही विशेष महत्व होता है जो इस प्रकार है।
निशिता काल मुहूर्त – रात में 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक (9 मार्च 2024)
व्रत पारण समय – सुबह 06 बजकर 37 मिनट से दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक (9 मार्च 2024)
महाशिवरात्री का क्या है महत्व, क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्री!
महाशिवरात्रि के दिन भक्त जप, तप और व्रत रखते हैं और इस दिन भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन करते हैं। इस पवित्र दिन पर देश के हर हिस्सों में शिवालयों में बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शर्करा आदि से शिव जी का अभिषेक किया जाता है। देश भर में महाशिवरात्रि को एक महोत्सव के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह हुआ था।
हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मनुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।
शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य, और समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। भक्ति और भाव से स्वतः के लिए तो करना ही चाहिए सात ही जगत के कल्याण के लिए भगवान आशुतोष की आराधना भी करनी चाहिए। मनसा… वाचा… कर्मणा हमें शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान भोलेनाथ नीलकण्ठ है, विश्वनाथ है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोषकाल यानि सूर्यास्त होने के बाद रात्रि होने के मध्य की अवधि, मतलब सूर्यास्त होने के बाद के 2 घंटे 24 मिनट की अवधि प्रदोष काल कहलाती है। इसी समय भगवान आशुतोष प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते है। इसी समय सर्वजनप्रिय भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही वजह है, कि प्रदोषकाल में शिव पूजा या शिवरात्रि में औघड़दानी भगवान शिव का जागरण करना विशेष कल्याणकारी कहा गया है।
हमारे सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग का वर्णन है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में ही सभी ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन प्रातः काल उठकर सबसे पहलेस्नान आदि करके पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव शंकर के समक्ष बैठकर पूरे विश्वास के साथ व्रत का संकल्प लें।
संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिए शिव जी का आशीर्वाद लें।
इसके अलावा आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कोई एक टाइम खाना खाकर भी वृत रखता कोई फलाहार या फिर निर्जला आप जैसे भी रखना चाहते है उसका भी संकल्प लें।
फिर शुभ मुहूर्त में भगवान शिव पार्वती की पूजा प्रारंभ करें।
सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं।
साथ ही केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि का दीपक जलाएं। इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं। ध्यान रखे की भगवान शिव को कभी भी रोली का तिलक न लगाये।
बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है। इसलिए तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।
सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें। और अपने वृत को पूरे भाव से सम्पन करें।